एनआईसी-उर्वरक विभाग (डीओएफ) ने डिजिटल इंडिया अवार्ड 2020 प्राप्त किया
उर्वरक में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के क्रियान्वयन पर पिछले 20 वर्षों से चर्चा हो रही है। हालांकि, इसके कार्यान्वयन में शामिल जटिलताओं के कारण, बहुत कुछ हासिल नहीं किया जा सका, मुख्यतः क्योंकि उर्वरक सब्सिडी प्रबंधन सबसे जटिल में से एक है। यह उर्वरक में डीबीटी के परेशानी मुक्त कार्यान्वयन के लिए एक आईटी आधारित प्रणाली को डिजाइन करने में काफी चुनौती पेश करता है। सब्सिडी वाले उर्वरक नो डिनायल पॉलिसी के तहत बेचे जाते हैं। इसका मतलब है कि न तो लाभार्थी, न ही उनकी पात्रता स्पष्ट रूप से परिभाषित है। फिर भी, निरंतर और नवीन दृष्टिकोणों का पालन करते हुए, एक आईटी आधारित डीबीटी प्रणाली को मार्च 2018 में सभी चुनौतियों को पार करते हुए सफलतापूर्वक डिजाइन, विकसित और कार्यान्वित किया गया था। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) का पैन इंडिया रोलआउट आखिरकार हासिल कर लिया गया। तब से यह प्रणाली असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन कर रही है और 2018-19, 2019-20 के सब्सिडी बिल को सिस्टम के माध्यम से पूरी तरह से वितरित किया गया था।
टीम का सदस्या :
डॉ.(सुश्री) रंजना नागपाल, वैज्ञानिक – जी
श्री असीम गुप्ता, वैज्ञानिक – एफ
श्री धर्म पाल, अपर सचिव उर्वरक
श्री निरंजन लाल, निदेशक डीबीटी